मैं कलाकार ये संगमरमर वदन


ऐसी गलती ना  कर मुझको ठुकराने की 

  • जो मजा मुझमे  है ,इस जहां में नहीं  
मैं  कलाकार  ये संगमरमर वदन 
बस मैं छूं लूँ इसे तो संवर जायेगी  
मुझको दिलबर बनाने की सोचो तो बस 
बात तेरे गले भी उतर जाएगी 
तेरे लव रस भरे लबलबाते हुए 
बूँद दो -चार मुझपे टपक जाने दो 
तेरे गालों की लाली बड़ी लाल है 
क्या कहूँ अब कहाँ तक बुरा हाल है 
खोले रखना जरा इश्क की खिरकियाँ 
वरना मौके पे फिर देर हो जाएगी ……… 

                                                           (कवि मनीष सोलंकी )


जीवन ; एक संघर्ष पेट की खातिर
इजहारइजहार-२
इजहार-३ ब्रेकअप पार्टी
विवाह वासना की उपासाना
नारी देश के दुश्मन
कि जो तु मुस्कुराती है अब कहा
ऐसी जुदाई क्या खूब लड़े नैना मेरे
बदहाल पश्चाताप
पत्नी - देवी उमंग
Desire इश्क घटनाक्रम
बसंती हवा अचरज
ये जमाना हनीमून
विनय दिल मांगे मोर
व्यथा मुझको मेरा प्यार मिला
जुल्फों के जूं अधूरे सपने
निराशा सखे
ग़ज़ल जननी
मैं कलाकार, संगमरमर बदन